पंजाब और हरियाणा के किसानों में अभी भी हैं नाराज़गी, गांरटी विधेयक की तेज़ हुई मांग

▶️चौथे विधेयक की उठायी किसानों ने मांग जो जो गारंटी दे किसानों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ के नीचे फसलें नहीं ख़रीदी जाएंगी |
▶️मंडी समाप्त होने का सता रहा है डर, केवल 6 प्रतिशत किसान हीं उठा पाते हैं msp का फ़ायदा |
▶️किसानों को ये भी चिंता सता रही है कि एफसीआई अब राज्य की मंडियों से गेहूं-चावल नहीं खरीदेगा |
Farm Bill 2020 : पंजाब और हरियाणा के किसान सरकार द्धारा लाये गए तीनों विधेयकों (Farm Bill 2020) के विरोध में अभी भी लगे हुए हैं। उनका मानना हैं कि इन विधेयकों के आ जाने से अब देश मे मंडी व्यवस्था के अनाज के विक्रय की दूसरी व्यवस्था खड़ी की जा रही है। इसीलिए दोनों राज्यों में इसका पुर्जोर विरोध किया जा रहा है। शांताकुमार समिति (Santakumar Simiti) की माने तो केवल 6 प्रतिशत ही ऐसे किसान हैं जो msp का फ़ायदा उठा पाते हैं। तो कुछ ऐसा हाल है किसानों का।
आपको बताते चलूँ FCI की खरीद का बड़ा हिस्सा पंजाब से आता है और किसानों को आशंका है कि FCI ख़रीदारी बंद कर देगा। ऐसे में आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि पंजाब के किसानों में इतना आक्रोश क्यों है?,तो आइए समझते है….
मण्डियों के समाप्त होने का डर
पंजाब (Punjab) के किसान संगठनों और किसानों की माने तो यह तो बस शुरुआत है, आगे चलकर मिनिमम सपोर्ट प्राइज (MSP) बंद हो जाएगी। मंडियां भी समाप्त हो जाएंगी। और किसानों को ये भी चिंता सता रही है कि एफसीआई अब राज्य की मंडियों से गेहूं-चावल नहीं खरीदेगा। इसका मतलब ये हुआ कि आढ़तिए (ब्रोकर) को 2.5 प्रतिशत कमीशन भी नहीं मिलेगा और राज्य को एफसीआई (FCI) द्वारा मिलेने वाला 6% कमीशन भी नहीं मिलेगा।
किसानों द्वारा चौथे विधेयक की माँग
बलबीर सिंह राजेवाल (Balbeer Singh Rajewal) जो की भारतीय किसान यूनियन (Indian Farmer Union) के प्रधान हैं। उनका कहना है कि अगर मोदी सरकार तीनो विधेयकों के लिए इतना ललाहित है तो उसे एक चौथा विधेयक भी लाना चाहिए, जो गारंटी दे किसानों के ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ की जिस मूल्य के नीचे फसलें नहीं ख़रीदी जाएंगी।

मार्केटिंग बोर्ड ख़त्म करने पर जोर
हरियाणा व्यापार मंडल (Haryana Business Committee) के प्रधान रोशन लाल गुप्ता (Roshan Lal Gupta) ने भी चिंता ज़ाहिर की और कहा, जो 25-30 प्रतिशत किसानों की दुकानें मंडियों में हैं उनका क्या होगा। उन्होंने मार्केटिंग बोर्ड खत्म करने पर जोर दिया और बोले इन तीन विधेयकों के मद्देनजर इस मार्केटिंग बोर्ड की ज़रूरत नहीं है और मार्केट बोर्ड ख़त्म करने से किसानों को खुला मंच मयस्सर होगा और भ्रष्टाचार, टैक्स की चोरी से निज़ात मिलेगा।
उधर राजनीति भी है मुखर
अकाली दल (Akali Dal) जो भाजपा की साथी है इन विधेयकों के बाद उसके तेवर भी कुछ अलग जना पड़ते हैं। जिन किसानों को msp का फायदा मिलता है वो सब संपन्न हैं और जो छोटे किसान हैं वही तो अकाली दल का वोट बैंक हैं। और उनको निराश करना वो कतई नहीं चाहेगी। इसीलिए उसने BJP को चेतावनी भी दी और किसानों का खुलकर समर्थन भी किया। अकाली दल के लिए परीक्षा की घड़ी है, एक तरफ तो उसका वोट बैंक है और दूसरी तरफ़ उसकी राजनैतिक दोस्ती। फैसला उसे खुद ही करना है।
आगे पढ़ें-
- छठ पूजा को लेकर दिल्ली में लगा रोक तो यूपी में जारी किए गए गाइडलाइंस, घाट पर जाने से पहले पढ़ें पूरी खबर
- छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाना सीएम केजरीवाल को पड़ा भारी, मनोज तिवारी ने दागे तीखे शब्द
- इन 3 वैक्सीन के लिए खर्च करनी होगी मोटी रकम, जल्द ही मार्केट में होगी उपलब्ध
- एक्टिंग से दूर हुए एक्टर इमरान खान, आगे के प्लान को लेकर दोस्त ने किया बड़ा खुलासा
- सार्वजनिक जगहों पर छठ को लेकर लगा प्रतिबंध, सीएम केजरीवाल के आवास के आगे प्रदर्शन जारी