चिट्ठी आई है..क्या इस चिट्ठी से किसानों के चेहरे में मुस्कान छाई है…

पिछले बीस दिनों से चल रहा है दिल्ली के बार्डरों पर किसान आंदोलन
किसान लगातार तीनों किसान बिल का कर रहे हैँ विरोध
केंद्रीय सरकार के मंत्रियों, सलाहकारों से किसानो के संगठन से छः बार हो चुकी वार्ता
किसानो और केंद्रीय मंत्रियों के बीच वार्ता रही बे नतीजा
सरकार ने बिल के कई प्रवाधनों में दिया संशोधन का भरोसा
सरकार नर एम एस पी (MSP) पर भी दिया भरोसा
किसान तीनों बिलो को रद्द करने के कम से बात मानने से इंकार
इसी बीच देश के कई संगठनों ने दिया केंद्र के कृषि बिलों का समर्थन
विपक्ष लगातार किसानो के मुद्दे पर केंद्र सरकार और पी एम मोदी पर हमलावर
किसानों का इंतजार, केंद्रीय मन्त्रीमंडल ने किया आठ पन्नो का पत्र व्यवहार
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आज किसान के संगठनों को आठ पन्नो का एक पत्र लिखकर मनाने का प्रयास किया, उन्होंने अनुरोध किया कि वो विपक्ष के गुमराह करने वाले ब्यानों पर यक़ीन ना करें ।कानूनों को लेकर भरम फैलाया जा रहा है ।
सरकार ने पत्र में एम एस पी का भी लिखित भरोसा दिया, और ये जारी थी और रहेगी ।
कृषि मंत्री ने APMC में ये भी कहा कि मंडियां भी जारी रहेगी और ये कानून के दायरे से बाहर हैँ । अग्रीमेंट फसल के लिये होगा जमीनों के लिये नहीं ।केंद्रीय मंत्री तोमर ने पत्र में साफ तौर पर लिखा है किसानो कि जमीन पर भी किसानों का हक ही होगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने भी किया अपना निर्णय
इसी बीच किसानों के मुद्दे पर दायर जन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने किसानो को कमेटी बनाने कर केंद्र सरकार को हल निकालने की सलाह दी ।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि,किसान का विरोध तो ठीक है, लेकिन विरोध का तरीका ठीक नहीं है ।
विरोध में किसी भी संगठन को आम जन मानस की परेशानियों को नजरअंदाज नही करना चाहिये ।
अब देखना है कि आठ पन्नो का सरकार का पत्र किसान के चेहरे में लायेगा मुस्कान
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