भारत में बनी ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन के बारे में 5 ज़रूरी बातें, जागरूक नागरिक के लिए जानना है ज़रूरी

▶️कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत में बनी वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को लेकर जल्द ही कुछ खुशखबरी मिल सकती है |
▶️भारत में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (COVISHIELD) ने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया है |
▶️सीरम इंस्टिट्यूट ने बताया कि अगले साल जनवरी महीने तक कोरोना वैक्सीन भारत आ सकती है |
COVISHIELD Vaccine India | देशभर में लगातार बढ़ रहे कोरोना वायरस (corona virus) केस को देखते हुए हरेक व्यक्ति बस कोरोना वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है। इसके लिए देश-विदेश में तमाम एक्सपर्ट वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं और अब वैक्सीन बनाने के प्रक्रिया में तेज़ी लाना बेहद ज़रूरी है क्योंकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऐसा लग रहा है जैसे देश में अब वायरस की दूसरी लहर शुरू हो गई है।
कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ के बारे में 5 ज़रूरी बातें

देश का हरेक राज्य कोरोना वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है ऐसे में भारत में बनी वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को लेकर जल्द ही कुछ खुशखबरी मिल सकती है तो आइए जानते हैं ‘कोविशील्ड’ के बारे में कुछ ज़रूरी बातें।
1.भारत में ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ (COVISHIELD) ने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया है। किसी भी वैक्सीन के लिए तीसरे चरण का ट्रायल काफी अहम होता है ऐसे में सीरम इंस्टीट्यूट और आईसीएमआर ने कहा है कि भारत में कोविशील्ड का सबसे कठिन दौर गुजर चुका है।
2.बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट और आईसीएमआर (ICMR) कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ के लिए साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इसका क्लिनिकल डेवलपमेंट भी दोनों ने साथ में ही किया है।
3.सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute) के तरफ से मिली जानकारी के अनुसार अगले साल जनवरी महीने तक कोरोना वैक्सीन भारत आ सकती है। और इसकी कीमत की बात करें तो वो सभी की पहुंच में होगी।
4.इस वैक्सीन के बारे में आईसीएमआर ने कहा कि अभी तक जितने भी परीक्षण हुए हैं और उससे आए रिजल्ट के हिसाब से ये आस जगी है कि कोविशील्ड घातक वैश्विक महामारी (pandemic) का एक समाधान बन सकता है।
5.कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए तैयार की गई कोविशील्ड वैक्सीन का पहला डोज मेडिकल अस्पताल में दिया गया है। अब 28 दिन बाद फिर से सभी को एक डोज और दिया जाएगा।
बता दें कि ट्रायल (trial dose) का डोज देने के बाद सभी लोगों को दो घंटों तक डॉक्टर्स की निगरानी में रखा गया था। जिसमें डॉक्टरों ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं हुई है। दूसरे डोज के बाद ये जांच की जाएगी की लोगों में एंटीबॉडी विकसित होती है या नहीं।
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